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कविता

नायक-खलनायक

सुमित पी.वी.


फिल्म हॉल में मुझे
मजा आता है
अच्छा लगता है
एक तरफ सपनों की दुनिया
दूसरी ओर हकीकत से मुठभेड़
कभी लगता है
फिल्मी दुनिया ही बेहतर है
हकीकत में उसे
उस दुनिया को अपनाने की
लाख कोशिश की
फिर भी
प्रेमिका प्रेमी से आँख मिलाती ही नहीं
लेकिन आखिरकार
फिल्म में जो कभी भी संभव नहीं होता
वह हकीकत में हुआ
उसने नायक से नहीं
खलनायक से शादी की !!!


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हिंदी समय में सुमित पी.वी. की रचनाएँ



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